Tata Trusts पर टाटा परिवार का कोई
विशेष अधिकार नहीं, कोई भी संभाल
सकता है कमानः रतन टाटा
बिजनेस डेस्कः देश के सबसे बड़े बिजनेस हाउस में से एक टाटा ग्रुप के टाटा ट्रस्ट्स पर टाटा परिवार का कोई विशेष अधिकार नहीं है और आगे चलकर परिवार के बाहर का भी व्यक्ति इसकी कमान संभाल सकता है। ये बातें रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट में कहीं है। उन्होंने कहा, मैं फिलहाल इन ट्रस्ट (Tata Trusts Chairman Ratan Tata) का चेयरमैन हूं लेकिन फ्यूचर में कोई और भी यह पद संभाल सकता है।
ये जरूरी नहीं है कि उसका सरनेम टाटा हो। एक व्यक्ति की जिंदगी निश्चित होती है जबकि ये संस्थाएं काम करती रहेंगी।
आपको बता दें कि साल 1892 में ही टाटा ट्रस्ट का गठन कर दिया था, जिससे कल्याणकारी कार्यों के लिए धन की कमी नहीं हो। यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि टाटा समूह की सभी कंपनियों का प्रधान निवेशक टाटा संस है और टाटा संस की 66 फीसदी हिस्सदारी टाटा ट्रस्ट के पास है। इस हिस्सेदारी का डिविडेंड ट्रस्ट के पास आता है, ताकि परोपकार के लिए धन का अभाव नहीं हो।
मिस्त्री परिवार की कंपनी सायरस इनवेस्टमेंट द्वारा दायर याचिका के जवाब में रतन टाटा ने कहा कि टाटा ट्रस्ट्स और यहां तक कि टाटा संस के चेयरमैन पद पर टाटा परिवार का कोई विशेष अधिकार नहीं है। रतन टाटा ने यह बात ऐसे समय कही है जब माना जा रहा है कि वह टाटा ट्रस्ट्स के मैनेजमेंट को भविष्य की जरूरतों के मुताबिक बदलने की योजना पर काम कर रहे हैं।
बना सकते हैं कमेटी
मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, 'टाटा विभिन्न क्षेत्रों के शीर्ष लोगों की एक समिति बना सकते हैं। इसमें खासकर ऐसे लोगों को तवज्जो दी जा सकती है जो फिलैन्थ्रॉपी और ह्युमैनिटीज बैकग्राउंड के हैं।' रतन टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स दोनों की कमान संभालने वाले आखिरी चेयरमैन थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि टाटा संस के मौजूदा चेयरमैन टाटा परिवार के नहीं हैं।
रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट में साथ ही कहा कि टाटा संस में टाटा परिवार के सदस्यों की 3 फीसदी से भी कम हिस्सेदारी है। परिवार के सदस्यों को कोई विशेष अधिकार या भूमिका नहीं दी गई है। होल्डिंग कंपनी में ग्रुप कंपनियों की कुल मिलाकर 13 फीसदी हिस्सेदारी है और कोई विशेष अधिकार नहीं है।
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