मिल्खा सिंह का निधन, 91 साल की उम्र में
कोरोना के चलते फ्लाइंग सिख ने ली अंतिम
भारत के महान धावक मिल्खा सिंह (Milkha Singh) का निधन हो गया है. उन्होंने 91 साल की उम्र में चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली. पिछले एक महीने से वे कोरोना से लड़ रहे थे. चार बार एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट मिल्खा सिंह को मई में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. ट्रेक एंड फील्ड में कई रिकॉर्ड बनाने वाले इस दिग्गज को फ्लाइंग सिख कहा जाता है. उन्हें यह नाम पाकिस्तान के तानाशाह शासक जनरल अयूब खान ने 1960 में उस समय के धाकड़ एथलीट अब्दुल खालिक को रेस में हराने पर दिया था. मिल्खा 1960 में ओलिंपिक मेडल जीतने के भी बहुत करीब थे लेकिन मामूली अंतर से वे चौथे स्थान पर रहे थे.
मिल्खा सिंह को 3 जून को पीजीआई में भर्ती कराया गया था. इससे पहले उनका घर पर ही इलाज चल रहा था लेकिन ऑक्सीजन लेवल कम होने पर अस्पताल ले जाया गया. हालांकि वे बुधवार को कोरोना नेगेटिव आ गए थे. इसके बाद उन्हें कोविड आईसीयू से सामान्य आईसीयू में भेज दिया गया था. लेकिन इस बीमारी के चलते हुई जटिलताओं के कारण उनकी हालत गंभीर हो गई थी. इसके तहते शुक्रवार को उनका ऑक्सीजन स्तर कम हो गया था और बुखार आया था. अस्पताल के सूत्रों ने बताया था कि उनकी हालत गंभीर हो गई थी.
पांच दिन पहले पत्नी का निधन
इसके बाद उनके परिवार की ओर से भी बयान आया था. इसमें कहा गया था, 'मिल्खा जी के लिये दिन थोड़ा मुश्किल रहा. लेकिन वह इससे संघर्ष कर रहे हैं.'इससे पहले उनकी पत्नी निर्मल कौर का कोविड-19 संक्रमण से जूझते हुए 13 जून को मोहाली में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. कौर खुद एथलीट रही थीं. वह भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकी थीं. मिल्खा सिंह के साथ निर्मल कौर की शादी साल 1962 में हुई थी.
ओलिपिंक मेडल से चूक गए थे मिल्खा
मिल्खा सिंह ने चार बार एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता है. साथ ही वह 1958 कॉमनवेल्थ गेम्स के चैंपियन भी हैं. फिर 1960 के रोम ओलिंपिक खेलों में 400 मीटर की दौड़ में वे मामूली अंतर से पदक से चूक गए थे और चौथे स्थान पर रहे थे. वे 1956 और 1964 के ओलिंपिक खेलों में भी शामिल हुए थे. 1959 में उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला था.
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