बिकरू में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर का शनिवार को सचेंडी में हाईवे पर री-कंस्ट्रक्शन (नाट्य रूपांतरण) हुआ। जिस दिन विकास को ढेर दिया गया, उस दिन हादसे में गाड़ी पलटी थी। शनिवार को गाड़ी तो नहीं पलटाई गई पर बाकी वही सीन का रूपांतरण किया गया। गाड़ी के पीछे वाले दरवाजे से विकास बगल में बैठे इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी की पिस्टल छीनकर भागा और एसटीएफ के साथ पुलिस की टीम ने महज तीन मिनट में मुठभेड़ के दौरान उसके सीने में दो और कमर में एक गोली मारकर ढेर कर दिया। पूरा सीन री-क्रिएट किया गया और फोरेंसिक टीम ने समझा।
ट्रांजिट रिमांड पर लाने के दौरान विकास दुबे 10 जुलाई की सुबह मुठभेड़ में मारा गया था।
मानवाधिकार आयोग के आदेश पर घटना की हकीकत जानने के लिए लखनऊ से विधि विज्ञान प्रयोगशाला की टीम सचेंडी स्थित घटनास्थल पहुंची। इसके बाद टीम में मौजूद एसटीएफ और पुलिस के जवानों ने पूरे क्राइम सीन का री-कंस्ट्रक्शन किया। गाड़ी पलटने वाली जगह से करीब डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर विकास को गांव की ओर जाने वाली कच्ची सड़क पर मार गिराया था। किस तरह विकास की एसटीएफ के सीओ ने घेराबंदी की और मुठभेड़ के दौरान विकास ने उनके सीने में गोली कैसे मारी, लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट होने के चलते वह बच गए। अन्य साथियों ने मोर्चा संभालकर विकास को मार गिराया।
फोरेंसिक एक्सपर्ट ने की बारीकी से जांच
विधि विज्ञान प्रयोगशाला से आए बैलेस्टिक इंचार्ज डॉ. एके श्रीवास्तव ने चार सदस्यीय टीम के साथ एक-एक चीज का मुआयना किया। एफआईआर के मुताबिक पूरा घटनाक्रम है या नहीं यह देखा। रमाकांत पचौरी समेत अन्य को कितनी चोटें और किस तरह से आईं, यह सब संभव है या नहीं, देखा। एसटीएफ के सीओ तेज बहादुर सिंह और उनकी टीम के साथ सचेंडी एसओ अतुल सिंह, एनकाउंटर की जांच कर रहे गोविंद नगर थाना प्रभारी अनुराग मौजूद रहे।
एसटीएफ के पुष्पेंद्र ने निभाई विकास की भूमिका
एसटीएफ के सिपाही पुष्पेंद्र ने विकास दुबे का रोल अदा किया। पुष्पेंद्र ने जीवंत तरीके से क्राइम सीन किए। मुठभेड़ के दौरान विकास की ओर से फायर किए गए खोखे तो बरामद हो गए थे लेकिन खेत और कच्ची सड़क, घास-फूस होने के चलते एसटीएफ की ओर से चलाई गई गोलियों के खोखे नहीं मिल सके थे।
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